कार्डियक अरेस्ट क्या होता है, जाने क्या है मुख्य लक्षण, अंतर और कैसे करें कार्रवाई ?

Loading

कार्डियक अरेस्ट एक इलेक्ट्रिकल समस्या के कारण उत्पन्न होता है, जिससे पीड़ित व्यक्ति के हृदय का धड़कना बंद कर देता  है | जब आपका हृदय रक्त को पंप करना बंद कर देती है तो इससे पीड़ित व्यक्ति बेहोश हो जाता है | कार्डियक अरेस्ट एक ऐसी आपातकालीन और गंभीर स्थिति है, जिसे पड़ने के कुछ ही मिनटों में यह व्यक्ति के लिए जानलेवा साबित हो सकता है | यही कारणों से कार्डियक अरेस्ट पड़ रहे व्यक्ति को यह कोशिश करना चाहिए की वह तुंरत आसपास लोगों से मदद के लिए पुकार लगाए, ताकि जल्द से जल्द सीपीआर की प्रक्रिया शुरू हो जाएं | ऐसा करने से उस व्यक्ति के जान बच सकती है, क्योंकि सही समय पर मदद मिलने से एक व्यक्ति के जान बचने की संभावना बढ़ जाती है | आइये जानते है कार्डियक अरेस्ट को विस्तारपूर्वक से :- 

कार्डियक अरेस्ट क्या होता है ? 

एक व्यक्ति को कार्डियक अरेस्ट तब होता है, जब उसका हृदय धड़कना बंद कर देता है या फिर तीव्र से हृदय धड़कने लग जाता है, जिससे वह रक्त को पंप करना बंद कर देता है | कार्डियक अरेस्ट के दौरान अधिकतर लोग बेहोश हो जाते है या फिर प्रतिक्रियाहीन हो जाते है | अधिकर मामलों में यह लक्षण बिना किसी चेतवानी के शुरू हो जाते है, इन्ही कारणों से लोग इससे अचानक से पड़ने वाला कार्डियक अरेस्ट भी कहते है | 

यदि कार्डियक अरेस्ट पड़े व्यक्ति को आपातकालीन स्थिति में उपचार न मिले तो यह उस व्यक्ति के लिए जीवन-घातक साबित हो सकता है | दरअसल कार्डियक अरेस्ट के दौरान रक्त ठीक से पंप नहीं कर पता है, जिससे यह शरीर के बाकी अंगों को मौत के खतरे डाल देता है, ऐसा इसलिए क्योंकि शरीर के उन अंगों को लगातार ऑक्सीजन चाहिए होता है, जोकि रक्त शरीर के उन अंगों में ऑक्सीजन पहुंचने का कार्य करती है | कार्डियक अरेस्ट एक आपातकालीन स्थिति है, जिसमें एक लापवाही से व्यक्ति की जान भी जा सकती है | आइये जानते है कार्डियक अरेस्ट के मुख्य लक्षण और कारण क्या है :- 

कार्डियक अरेस्ट के मुख्य लक्षण क्या है ?

कार्डियक अरेस्ट में मुख्य लक्षणों में शामिल है :- 

  • बेहोश होना 
  • हृदय का धड़कना बंद या फिर तीव्र हो जाना 
  • चक्कर का आना 
  • कमज़ोरी महसूस होना 

कुछ मामलों में कार्डियक अरेस्ट बिना लक्षण को चेतावनी दिए भी पड़ सकता है | इसके अलावा कार्डियक अरेस्ट पड़ने से पहले पीड़ित व्यक्ति में कई तरह के लक्षणों को देखा जा सकते है, जिनमें शामिल है, इससे पीड़ित व्यक्ति को छाती में तीव्र दर्द का अनुभव होने लगता है, समुद्री उम्मीद या फिर उलटी होने लग जाती है और साँस लेने में कठिनाई होने लगती है आदि |    

कार्डियक अरेस्ट के मुख्य कारण क्या है ? 

कार्डियक अरेस्ट पड़ने के कई कारण हो सकते है, जिनमें शामिल है :- 

  • किसी भी तरह के दवा का ओवरडोज़ होना 
  • बिजली के झटके से 
  • अत्यधिक शराब के सेवन से  
  • हृदय के आकार का बड़ा हो जाना :- इस स्थिति में हृदय मासपेशियां काफी कमज़ोर हो जाती है, जिसकी वजह से असामन्य रूप से इसका आकार बढ़ने लग जाता है | 
  • अत्यधिक शारीरिक परिश्रम करना 
  • एलर्जी संबंधी प्रक्रियाएं  
  • हृदय वाल्व रोग :- हृदय वाल्व के कारण मासपेशियां कमज़ोर होने लग जाती है, जिसकी वजह से हृदय की धड़कन बहुत तेज़ हो जाती है | 
  • दिल का दौरा पड़ना :- दिल के दौरे पड़ने की वजह से दिल की धड़कन में काफी उतार-चढ़ाव आ जाता है, जिससे कार्डियक अरेस्ट का खतरा बढ़ सकता है | 
  • कोरोनरी धमनी रोग :- इस रोग में कोलेस्ट्रॉल और अन्य तरल पदार्थ धमनियों में जमा होने लग जाते है, जो रक्त प्रवाह को कम करने का कार्य करता है | 

कार्डियक अरेस्ट, मायोकार्डियल इन्फार्क्शन और हार्ट फेलियर में क्या है अंतर ?   

  • कार्डियक अरेस्ट और मायोकार्डियल इन्फार्क्शन में अंतर :- कार्डियक अरेस्ट में हृदय प्रभावी रूप से रक्त पंप करना बंद कर देता है, जबकि मायोकार्डियल इन्फार्क्शन, जिससे हार्ट अटैक भी कहा जाता है, यह तब होता है, जब हृदय के किसी हिस्से में मौजूद रक्त प्रवाह रुक जाता है | कार्डियक अरेस्ट अचानक से उत्पन्न होने वाली एक ऐसी गंभीर स्थिति है, जो कुछ ही मिनटों में पीड़ित व्यक्ति के लिए जानलेवा साबित हो सकती है, जबकि मायोकार्डियल इन्फार्क्शन आमतौर पर रक्त के थके के कारण उत्पन्न हो सकता है, जो  हृदय की मांसपेशियां को नुक्सान पहुंचा  सकती है | कार्डियक अरेस्ट में हृदय धकड़ना बंद हो जाता है, लेकिन मायोकार्डियल इन्फार्क्शन में हृदय धकडता रहता है, लेकिन यह अनियमित रूप से काफी कमज़ोर हो जाता है | 
  • कार्डियक अरेस्ट और हार्ट फेलियर में अंतर :- कार्डियक अरेस्ट अचानक से उत्पन्न होने वाली गंभीर स्थिति है, जिससे प्रभावी रूप से हृदय का धकड़ना बंद हो जाता है, जबकि हार्ट फेलियर भी एक गंभीर स्थिति है, जिसमें हृदय रक्त को कुशलतापूर्वक से पंप करने में असमर्थ हो जाता है, जिससे पीड़ित व्यक्ति में सांस लेने में तक़लीफ़, थकान और द्रव प्रतिरक्षण जैसे लक्षण सामने आने लग जाते है | हार्ट फेलियर धीरे-धीरे लगातार बढ़ता रहता है, जिससे निरंतर प्रतिबंधन की बेहद आवश्यतका होती है |  

कार्डियक अरेस्ट के दौरान क्या करवाई करें ? 

  • कार्डियक अरेस्ट पड़े व्यक्ति का सीपीआर करना तब तक नहीं छोड़ना चाहिए, जब तक आप पूर्ण रूप से थक न जाएँ, घटनास्थल असुरक्षित न हो जाएं या फिर आपातकालीन चिकित्सा कर्मी कार्यभार को अपने अंतर्गत न संभाल ले  | 
  • यदि आप प्रशिक्षित नहीं है तो बचाव के लिए श्वास का प्रयोग न करें, लेकिन छाती को निरंतर दबाते रहे | 
  • आपातकालीन सेवाओं पर कॉल करें और मदद के लिए बुलाएं |  

कार्डियक अरेस्ट एक आपातकालीन स्थिति है, इसलिए इससे जुड़े किसी ही लक्षण को नज़र अंदाज़ बिलकुल भी न करें और तुरंत आपातकालीन सेवाओं से संपर्क करें, क्योंकि सही समय पर मिले इलाज से आप अपनी जान को बचा सकते है | 

यदि आप में से कोई भी व्यक्ति हृदय से जुड़ी किसी भी प्रकार की बीमारी से पीड़ित है और स्थायी रूप से इलाज करवाना चाहता है तो इसमें दीपक हार्ट इंस्टिट्यूट आपकी पूर्ण रूप से मदद कर सकता है | इस संस्था में मौजूद सभी डॉक्टर्स पंजाब के बेहतरीन कार्डियोलॉजिस्ट में से एक है, जिसके चयन से आपको इन समस्याओं से छुटकारा मिलने में मदद मिल सकती  है | इसलिए परामर्श के लिए आज ही दीपक हार्ट इंस्टिट्यूट की ऑफिसियल वेबसाइट पर जाएं और अपनी अप्पोइन्मेंट को बुक करें | इसके अलावा आप वेबसाइट पर दिए नंबरों से सीधा संस्था से संपर्क कर सकते है |   

Leave a Comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Scroll to Top

Book a Appointment